यदि आप विजेता बनना चाहते हैं, जीवन में सफल होना चाहते हैं, तो यह निश्चित ध्यान में रखें कि जीवन में सफल होने वाले व्यक्ति, सामान्य व्यक्तियों से कुछ हटकर होते हैं। वे सामान्य व्यक्तियों की तरह, जीवन को व्यर्थ नहीं करते। उनका जीवन सुनियोजित होता है। वे समय का मूल्य समझते हैं। उनमें कुछ ऐसे गुण हैं, जिनसे उनकी विजेता बनने की राह आसान होती है
आपका जीवन एक खाली किताब की तरह है जिसमे आपके जीवन की कहानी आप को स्वयं ही लिखनी है !
nishant royel
सफलता का पांचवा पड़ाव
4. अपनी सामर्थ्य बढ़ाएँ


अपनी सामर्थ्य बढ़ाएँ , सामर्थ्यवान की जीत होती है , दुर्बल की पराजय । अपनी योग्यता और क्षमताओं में वृद्धि करें । नई तकनीक , नए आविष्कार और नए प्रकार के उपकरणों से स्वयं को परिचित रखे ।
आजकल हर क्षेत्र में नूतन प्रयोग हो रहा है , आपको अपने क्षेत्र में हो रहे विकास एवं प्रयोगों आदि का ज्ञान होना चाहिए । प्रतिस्पर्धा के इस युग में जानकारी का अभाव , आपको पीछे धकेल सकता है । जितना बड़ा लक्ष्य एवं जितनी बड़ी आपकी महत्त्वाकांक्षा होगी , आपको स्वयं की क्षमता एवं योग्यता में उतना ही विस्तार करना होगा । जीवन में सफलता के लिए आवश्यक है कि आप स्वयं को लक्ष्य के अनुरूप इतना योग्य और सामर्थ्यवान बनाएँ कि असफलता असम्भव हो जाए ।
सफल एवं असफल में यही अन्तर है कि असफल व्यक्ति लक्ष्य के अनुरूप थोड़ा ही कम योग्य होता है , जबकि सफल व्यक्ति लक्ष्य के सन्दर्भ में थोड़ा अधिक योग्य होता है । टॉपर्स छात्रों के अंकों में कोई बहुत अधिक अन्तर नहीं होता है । जीतने के लिए , जो व्यक्ति पूर्ण निष्ठा एवं लगन से अपने लक्ष्य को फोकस कर विचार करता है , वह स्वयं ही अपनी सामर्थ्य का आकलन करने में सक्षम होता है । आपकी सामर्थ्य आपके लक्ष्य की तुलना में इतनी अधिक होनी चाहिए कि आप लक्ष्य प्राप्ति में थके नहीं । व्यक्तिगत परिष्कार एवं उत्कृष्टता प्राप्त करने की असीम एवं उत्कट इच्छा आपको सफलता की ओर अग्रसर करती है । सफलता प्राप्त करने की , विजयी होने की ललक , लिप्सा सभी में रहती है , लेकिन उसे पा सकने में सामर्थ्यवान शूरवीर ही सफल होते है । भौतिक जीवन में विजयी होने के लिए सामर्थ्य एवं संकल्प बल की आवश्यकता पड़ती है । सामर्थ्यवान एवं आत्मबल सम्पन्न व्यक्ति ही सफलता के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों से जूझ पाने में सक्षम हो पाते हैं ।
व्यायामशाला में क्षणिक उत्साह लेकर बहुत से लोग प्रवेश करते हैं , लेकिन इस कठिन राह से खिन्न होकर वे शीघ्र ही मैदान छोड़कर बाहर बैठ जाते है । नित नए कार्य करने वाले और कुछ ही समय में उसे छोड़कर बैठ जाने वाले मूखों की बहुत बड़ी मण्डली सर्वत्र विचरण करते देखी जा सकती है । आलसी , प्रमादी , कमजोर , अधीर , सामर्थ्यहीन एवं आशंकाग्रस्त मनुष्य , असफल होगे ही । ऐसे व्यक्ति अपंग और असहाय की तरह जीवन – यापन करते देखे जा सकते है । सामर्थ्य में वृद्धि की जा सकती है , इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ता है , आपको कार्यक्षमता में वृद्धि होती है । आप इससे किसी भी प्रकार की समस्याओं से , कठिनाइयों से जूझने की या मुकाबला करने की शक्ति प्राप्त करते हैं । सफलता , विजयश्री और अपनी जीत दर्ज करने के लिए अपनी सामर्थ्य में वृद्धि करें । उचित लक्ष्य के निर्धारण के पश्चात् , अपनी योग्यता और क्षमता का उपयोग पूर्ण निष्ठा एवं लगन से करने वालों को अवश्य ही सफलता मिलती है ।