किरचॉफ के परिपथ के प्रथम तथा द्वितीय नियम
किरचॉफ के परिपथ के नियम . (गुस्टाव किरचॉफ )
- किसी नोड या जंक्सन की तरफ जाने वाली धाराओं का योग उस नोड से दूर जाने वाली धाराओं के योग के बराबर होता है ; अर्थात् ,
i1 + i4 = i2 + i3
2. किसी घेरा ( लूप ) के परित : सभी विभवान्तरों का बीजगणितीय योग शून्य होता है ; अर्थात ,
V1 + V2 + V3 + V4 =0 .
- प्रथम – किरचॉफ का धारा ( current ) का नियम
- Kirchhoff’s current law –
- KCL
- द्वितीय – किरचॉफ का विभवान्तर
- ( voltage ) का नियम
- ( Kirchhoff’s voltage law –
- KVL
किरचॉफ का पहला नियम
किरचॉफ के धारा के नियम की परिभाषा ( Definition of Kirchhoff’s current law ) – ” किसी विद्युत परिपथ में किसी भी बिन्दु या संधि ( junction or node ) पर मिलने वाली धाराओं का बीजगणितीय योग ( algebraic sum ) शून्य होगा ।
दुसरे शब्दों में कहे तो – “ विद्युत परिपथ ( electrical circuits ) में किसी संधि या जंक्शन ( जहाँ दो से अधिक चालक आकर मिलते हैं ) पर आनेवाली धाराओं का योग वहां से जानेवाली धाराओं के योग के बराबर होती हैं । “



NOTE-1. इसे किरचॉफ का ‘ संधि नियम ‘ , ‘ जंक्शन का नियम ‘ या ‘ बिन्दु नियम ‘ भी कहते है ।
NOTE-2. यह आवेश के संरक्षण के सिद्धांत पर आधारित है ।
QUESTION 01-
QUESTION 02-
QUESTION 03-

किरचॉफ का दुसरा नियम
किरचॉफ के विभवान्तर के नियम की परिभाषा ( Definition of Kirchhoff’s voltage law ) – “ बंद लूप या परिपथ में विद्युत वाहक बल ( EMF ) का बीजगणितीय योग , उस परिपथ के प्रतिरोधकों के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तरों ( voltage ) के बीजगणितीय योग के बराबर होता हैं । “
दुसरे शब्दों में कहे तो – ” किसी लूप के सभी विभवान्तरों का बीजगणितीय योग शून्य होता है ।
बंद परिपथ या लूप मे प्रतिरोधों के सिरों पर उत्पन्न विभवांतर का बीजगणितीय योग उस परिपथ में स्थित सेलो के विद्युत वाहक बालो के बीजगणितीय योग के बराबर होता है
POINT TO NOTE
इस समीकरण को किसी परिपथ में लागू करने के लिए चिन्हों का ध्यान रखना पड़ता है ये निम्न है
- 1. परिपथ में विद्युत धारा की दिशा में चलने पर प्रतिरोध के सिरों पर विभवांतर का मान धनात्मक लेते है तथा धारा के विपरीत दिशा में चलने पर प्रतिरोध के सिरों पर विभवांतर ऋणात्मक लेते है ।
- 2. परिपथ में विद्युत धारा की दिशा में चलने पर रास्ते में सेल के ऋण सिरे से धन सिरे की ओर चलने पर विधुत वाहक बल धनात्मक लेते है तथा सेल के धन सिरे से ऋण सिरे की ओर चलने पर विद्युत वाहक बल को ऋणात्मक लेते है ।

प्रथम परिपथ DABCD में kirchhoff के द्वितीय नियम के अनुसार
R1 i1 + R2 ( i1 + i2 ) = E2 – E1
R1 i1 + R2 i1 + R2 i2 = E2 – E1
दुसरे परिपथ DCEFD में kirchhoff के द्वितीय नियम के अनुसार
-R2i1– R2 i2 – R3 i2 = -E2
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