नमस्कार दोस्तों एक बार फिर आपका स्वागत है .आज हम जानेंगे एक ऐसी चीज के बारे में जो चार्ज को स्टोर कर हमारे घर के एलायंस को चलने में मदद करती है और वो है कंडेंसर.
कंडेंसर या कपैसिटर एलेक्ट्री सर्किट में एक इम्पॉर्टन्ट रोल प्ले करता है तो आइये जानते है कंडेंसर के बारे में..
विभिन्न तरह के कपैसिटर या कंडेंसर

संधारित्र क्या है?
संधारित्र ( Capacitor ) संधारित्र एक ऐसा समायोजन है जिसमें किसी चालक के आकार में परिवर्तन किये बिना उस पर आवेश की पर्याप्त मात्रा संचित की जा सकती है । माना कि किसी चालक को आवेश देने पर उसका वैद्युत विभव V हो जाता है तब चालक की धारिता C –

/यदि हम किसी प्रकार चालक के विभव को कम कर दे तो उसे पुनः उसी विभव V तक लाने के लिये और अधिक आवेश दिया जा सकता है । इस प्रकार चालक की धारिता ( C ) बढ़ जायेगी ।
संधारित्र का सिद्धान्त ( Principle of Capacitor ) -इसका सिद्धान्त इस तथ्य पर आधारित है कि जब किसी आवेशित चालक के समीप एक अन्य अनावेशित चालक रख दिया जाता है तो आवेशित चालक का विभव कम हो जाता है । यदि अनावेशित चालक पृथ्वी से जोड़ दें तो विभव और भी कम हो जाता है । इसके फलस्वरूप आवेशित चालक की धारिता में पर्याप्त वृद्धि हो जाती है ।


चित्र में की धातु प्लेट है , जो विद्युतरोधी ( insulared ) स्टैण्ड पर लगी है । इसे किसी वैद्युत मशीन द्वारा धन आवेश दिया गया है । इसका सम्बन्ध स्वर्णपत्र विद्युतदर्शों को चकतों से कर देने PAR पत्तियां फैल जाती है । पत्तियों का फैलाव प्लेट A के विभव को MEASURE KARTA है । जब सेट के समीप एक अन्य धातु की प्लेट B विद्युतरोधी स्टैण्ड पर लगी है . लायी जाती है तो पत्तियों का फैलाव कुछ कम हो जाता है अर्थात् प्लेट A का विभव घट जाता है ।
इसका कारण यह है कि प्लेट B को प्लेट A के समीप लाने पर प्रेरण द्वारा प्लेट B के सामने वाले तल पर ऋण – आवेश तथा पीछे वाले तल पर उतना ही धन – आवेश उत्पन्न हो जाता है । [ चित्र 2 ( a ) ] । प्लेट B का ऋण – आवेश प्लेट A के विभव को कम करने का प्रयत्न करता है जबकि इसका धन – आवेश उसे बढ़ाने का प्रयत्न करता है । यद्यपि प्लेट B पर धन तथा ऋण – आवेशों की मात्राएँ बराबर हैं ,ऋण आवेश के ज्यादा पास होने के कारण धन – आवेश की अपेक्षा अधिक प्रभाव डालता है । अतः प्लेट A का विभव थोड़ा – सा कम हो जाता है इसे पुनः और आवेश दिया जा सकता है । इससे स्पष्ट है कि प्लेट B की उपस्थिति के कारण A की धारिता INCREASE जाती है .अब यदि प्लेट B को पृथ्वी से जोड दें तो पत्तियों का फैलाव और कम हो जाता है.
विद्युत् संधारित्र का उपयोग विद्युत् आवेश, अथवा स्थिर वैद्युत उर्जा, का संचय करने के लिए तथा वैद्युत फिल्टर, स्नबर (शक्ति इलेक्ट्रॉनिकी) आदि में होता है।
संधारित्र में धातु की दो प्लेटें होतीं हैं जिनके बीच के स्थान में कोई कुचालक डाइएलेक्ट्रिक पदार्थ (जैसे कागज, पॉलीथीन, माइका आदि) भरा होता है। संधारित्र के प्लेटों के बीच धारा का प्रवाह तभी होता है जब इसके दोनों प्लेटों के बीच का विभवान्तर समय के साथ बदले। इस कारण नियत डीसी विभवान्तर लगाने पर स्थायी अवस्था में संधारित्र में कोई धारा नहीं बहती। किन्तु संधारित्र के दोनो सिरों के बीच प्रत्यावर्ती विभवान्तर लगाने पर उसके प्लेटों पर संचित आवेश कम या अधिक होता रहता है जिसके कारण वाह्य परिपथ में धारा बहती है। संधारित्र से होकर DC धारा नही बह सकती।
- कंडेनसर का काम विधुत ऊर्जा को एकत्रित करना व विधुत ऊर्जा को एकत्रित दुबारा प्रदान करना हैं।
- कंडेनसर के इस प्रक्रिया को केपेसीटर कि चार्जिंग-डिसचार्जिंग प्रक्रिया कहा जाता हैं।
- कंडेनसर के द्वारा विधुत को स्टोर करने कि क्षमता को केपेसीटर का केपेसिटेन्स कहते हैं।
- केपेसिटेन्स को “C” अक्षर से प्रदर्शित किया जाता हैं। केपेसिटेन्स को “F” से मापा जाता हैं।
- 1000 पीको फेराड (kF) = 1 किलो पीको फेराड(KpF)
- 1000 किलो पीको फेराड (KpF) = 1 माइक्रो farade
- 10,00,000 माइक्रो फेराड(MF) = 1 farade (F)
LIKE OUR POST
संधारित्र के प्रकार।
संधारित्र मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं – (1) समांतर प्लेट संधारित्र।
(2) गोलीय संधारित्र।
(3) बेलनाकार संधारित्र।
संधारित्र के उपयोग
(1) आवेश और ऊर्जा के भंडारण हेतु प्रयोग किया जाता है।
(2) विद्युत फिल्टरो में उपयोग किया जाता है।
(3) पल्स पावर एवं शस्त्र निर्माण में।
(4) इसका सेंटर के रूप में उपयोग किया जाता
कैपसिटर का विभिन्न सर्किट में प्रयोग
कंडेनसर मुख्य काम AC को पास करना व DC को रोकना होता हैं।
- filtration circuit
- Coupling circuit
- Delay Timing circuit
- Capacitor Polority
केपेसीटर (संधारित्र) के प्रकार
1. फिक्स टाईप केपेसीटर (FIXED TYPE CAPACITOR)
ऐसे कंडेनसर जिनका मान घटाया या बढ़ाया नही जा सकता हैं।
2. वेरीएबल टाईप केपेसीटर(VARIABLE TYPE CAPACITOR)
ऐसे केपॅसिटर जिनका मान घटाया या बढ़ाया जा सकता हैं।
3. सेमी वेरीएबल टाईप केपेसीटर (SEMI VARIABLE TYPE CAPACITOR)
ऐसे के कंडेनसर जिनका मान उस पर अंकित मान से कुछ कम मान तक घटाया या बढ़ाया जा सकता हैं।
- Paper condenser
- Electrolytic condenser
- Mica condenser
- Ceramic condenser
- Styroflex condenser
- Polyester condenser
Polority ध्रुवीकृत के हिसाब से कैपसिटर दो तरह के होते हैं।
- Polorised Capacitor (ध्रुवीकृत संधारित्र)
- NON Polorised Capacitor (गैर-ध्रुवीकृत संधारित्र)
ध्रुवीकृत संधारित्र
ऐसे कैपसिटर जिनमे negative और positive टर्मिनल होते हैं। Polorised Capacitor कहलाते हैं। इन कंडेनसर को circuit में लगाते समय नेगेटिव व पॉजिटिव का विशेष ध्यान रखना पड़ता हैं। यदि यह उलटे लगा दिए जाए तो यह गरम होकर फट जाते हैं।
गैर-ध्रुवीकृत संधारित्र (Non-Polorised Capacitor)
ऐसे कैपसिटर जिनमे negative और positive टर्मिनल नहीं होते हैं। Non Polorised Capacitor कहलाते हैं। इन condenser चाहे जैसे लगा सकते हैं।
संधारित्रों के प्रतीक चिन्ह

READ ALSO-
- CBSE ISC BOARD TEST SERIES SCHEDULE PHYSICS PART 1
- Magnetism notes for class 12th CBSE ICSE
- Semiconductor n type – p type
- Class 12th physics magnetism magnetism daily 📝notes
- Semiconductor n type – p type
- November Monthly maths Test Series
- November Monthly Test Series
- human mind-मशीन से भी आगे
- मिस्र के पिरामिड के हैरतअंगेज!! राज जाने क्यों हैं इतने ख़ास ?
- चलो FRANCE चलते हैं-FRANCE
OTHER DEFINITIONS
विद्युत परिपथ
एक सरल विद्युत परिपथ जो एक वोल्टेज स्रोत एवं एक प्रतिरोध से मिलकर बना है ब्रेडबोर्ड के ऊपर बनाया गया एक सरल परिपथ (मल्टीवाइव्रेटर) विद्युत अवयवों (वोल्टेज स्रोत, प्रतिरोध, प्रेरकत्व, संधारित्र एवं कुंजियों आदि) एवं विद्युतयांत्रिक अवयवों (स्विच, मोटर, स्पीकर आदि) का परस्पर संयोजन विद्युत परिपथ (Electric circuit) अथवा विद्युत नेटवर्क (electrical network) कहलाता है। विद्युत परिपथ बहुत विशाल क्षेत्र में फैले हो सकते हैं; जैसे-विद्युत-शक्ति के उत्पादन, ट्रान्समिसन, वितरण एवं उपभोग का नेटवर्क। बहुत से विद्युत परिपथ प्राय: प्रिन्टेड सर्किट बोर्डों पर संजोये जाते हैं। विद्युत परिपथ अत्यन्त लघु आकार के भी हो सकते हैं; जैसे एकीकृत परिपथ। जब किसी परिपथ में डायोड, ट्रान्जिस्टर या आईसी आदि लगे होते हैं तो उसे एलेक्ट्रॉनिक परिपथ भी कहा जाता है जो कि विद्युत परिपथ का ही एक रूप है। विद्युत परिपथ को परिपथ आरेख (सर्किट डायग्राम) के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। प्रायः एक या अधिक बन्द लूप वाले नेटवर्क ही विद्युत परिपथ कहलाते हैं।
विद्युत प्रतिरोध
आदर्श प्रतिरोधक का V-I वैशिष्ट्य। जिन प्रतिरोधकों का V-I वैशिष्ट्य रैखिक नहीं होता, उन्हें अनओमिक प्रतिरोधक (नॉन-ओमिक रेजिस्टर) कहते हैं।
किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर तथा उससे प्रवाहित विद्युत धारा के अनुपात को उसका विद्युत प्रतिरोध (electrical resistannce) कहते हैं।इसे OHM में मापा जाता है। इसकी प्रतिलोमीय मात्रा है विद्युत चालकता, जिसकी इकाई है साइमन्स। जहां बहुत सारी वस्तुओं में, प्रतिरोध विद्युत धारा या विभवांतर पर निर्भर नहीं होता, यानी उनका प्रतिरोध स्थिर रहता है। right समान धारा घनत्व मानते हुए, किसी वस्तु का विद्युत प्रतिरोध, उसकी भौतिक ज्यामिति (लम्बाई, क्षेत्रफल आदि) और वस्तु जिस पदार्थ से बना है उसकी प्रतिरोधकता का फलन है। जहाँ इसकी खोज George Ohm ने सन 1820 ई. में की।, विद्युत प्रतिरोध यांत्रिक घर्षण के कुछ कुछ समतुल्य है। इसकी SI इकाई है ohm (चिन्ह Ω)
विद्युत आवेश
विद्युत आवेश कुछ उपपरमाणवीय कणों में एक मूल गुण है । आवेश पदार्थ का एक गुण है! पदार्थो को आपस में रगड़ दिया जाये तो उनमें परस्पर इलेक्ट्रोनों के आदान प्रदान के फलस्वरूप आकर्षण का गुण आ जाता है।
[…] पर निर्भर करता है। इस नियतांक को ‘वैद्युत धारिता‘ कहते […]
LikeLike