
धरती ही ऐसा ग्रह है, जहां जीवन है, जहां नदी, झरने, पहाड़, वन, अनेक जंतु प्रजातियां हैं और जहां हम मनुष्य भी हैं। लेकिन हम सब की लालच और लापरवाही ने न केवल दूसरी जीव प्रजातियों के लिए बल्कि खुद अपने लिए और संपूर्ण धरती के लिए संकट पैदा कर दिया है। ऐसे में पृथ्वी दिवस जैसे आयोजन हमें जागरूक करने के लिए जरूरी हैं।

क्या है पृथ्वी दिवस ?
विश्व पृथ्वी दिवस एक वार्षिक आयोजन है, जिसे 22 अप्रैल को दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्थन प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया जाता है। इसकी स्थापना अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन ने 1970 में एक पर्यावरण शिक्षा के रूप की थी। अब इसे 192 से अधिक देशों में प्रति वर्ष मनाया जाता है। यह तारीख उत्तरी गोलार्द्ध में वसंत और दक्षिणी गोलार्द्ध में शरद का मौसम है। संयुक्त राष्ट्र में पृथ्वी दिवस को हर साल मार्च एक्विनोक्स (वर्ष का वह समय जब दिन और रात बराबर होते हैं) पर मनाया जाता है, यह अक्सर 20 मार्च होता है, यह एक परम्परा है जिसकी स्थापना शांति कार्यकर्ता जॉन मक्कोनेल के द्वारा की गयी। यह पृथ्वी का बडा ही मानक दिवस है।
22 अप्रैल 1970 को पृथ्वी दिवस ने आधुनिक पर्यावरण आंदोलन की शुरुआत को चिन्हित किया। लगभग 20 लाख अमेरिकी लोगों ने, एक स्वस्थ, स्थायी पर्यावरण के लक्ष्य के साथ भाग लिया।
22 अप्रैल को ही क्यों मानते हैं
सम्पातिक पृथ्वी दिवस को मार्च इक्विनोक्स (20 मार्च के आस पास) पर मनाया जाता है, यह उत्तरी गोलार्द्ध में खगोलीय मध्य वसंत को तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में खगोलीय मध्य पतझड़ को चिन्हित करता है। खगोल विज्ञान में सम्पात वह समय है जब सूर्य के केंद्र को पृथ्वी की भूमध्य रेखा के ठीक “ऊपर” देखा जा सकता है, यह स्थिति प्रति वर्ष 20 मार्च और 23 सितम्बर को देखी जा सकती है।

इस तरह हुई शुरुआत
22 अप्रैल 1970 को पृथ्वी दिवस ने आधुनिक पर्यावरण आंदोलन की शुरुआत को चिन्हित किया।
हजारों कॉलेजों और विश्वविद्यालयों ने पर्यावरण के दूषण के विरुद्ध प्रदर्शनों का आयोजन किया। वे समूह जो तेल रिसाव, प्रदुषण करने वाली फैक्ट्रियों और उर्जा संयंत्रों, कच्चे मलजल, विषैले कचरे, कीटनाशक, खुले रास्तों, जंगल की क्षति और वन्यजीवों के विलोपन के खिलाफ लड़ रहे थे, ने अचानक महसूस किया कि वे समान मूल्यों का समर्थन कर रहें हैं।
22 अप्रैल 2000 का पृथ्वी दिवस पहले पृथ्वी दिवस की उमंग और 1990 के पृथ्वी दिवस की अंतर्राष्ट्रीय जनसाधारण कार्यशैली का संगम था।
2000 में, इंटरनेट ने पूरी दुनिया के कार्यकर्ताओं को जोड़ने में पृथ्वी दिवस की मदद की।
22 अप्रैल के आते ही, पूरी दुनिया के 5000 समूह एकजुट हो गए और 184 देशों के सैंकडों मिलयन लोगों ने इसमें हिस्सा लिया।
ऐसे विविध घटनाक्रम थे: गेबन, अफ्रीका में गाँव से गाँव तक यात्रा करने वाली एक बोलते ड्रम की श्रृंखला, उदाहरण के लिए जब सैंकडों हजारों लोग वाशिंगटन, डी.सी., संयुक्त राज्य अमेरिका में नेशनल मॉल में एकत्रित हुए.
पृथ्वी दिवस का महत्व मानवता के संरक्षण के लिए बढ़ जाता है, यह हमें जीवाश्म ईंधन के उत्कृष्ट उपयोग के लिए प्रेरित करता है। इसको मनाने से ग्लोबल वार्मिंग के प्रति जागरुकता के प्रचार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो हमारे जीवन स्तर में सुधार के लिए प्रेरित करता है। ऐसे आयोजन ऊर्जा के भंडारण और उसके महत्व को बताते हुए उसके अनावश्यक उपयोग के लिए भी हमें सावधान करता है। 1960 के दशक में कीटनाशकों और तेल के फैलाव को लेकर जिस तरह से जनता ने जागरुकता दिखाई थी, उस जागरुकता की वजह से नई स्वच्छ वायु योजना बनी थी। इस वजह से अब जो भी नया विद्युत संयंत्र शुरू होता है, उसमें कार्बन डाइऑक्साइड को कम मात्रा में उत्सर्जित करने के लिए अलग यंत्र लगाया जाता है, जिससे पर्यावरण में इसका कम फैलाव हो और नुकसान कम हो।
पृथ्वी दिवस का आयोजन
इस दिन पूरी दुनिया में लोग स्वच्छता अभियानों के कार्यक्रम में भाग लेते हैं और पेड़-पौधे लगाते हैं सामान्यतः पृथ्वी दिवस के दिन लोगों के द्वारा पेड़ों को लगाकर आस-पास की सफाई करके पृथ्वी दिवस मनाया जाता है।
भारत पर भी मंडरा रहा है खतरा !!
भौगोलिक अश्थिरता और global warming ने भारत के लिए भी गंभीर खतरा खड़ा कर दिया है इससे भारत की जलवायु पर बड़ा बुरा असर पड़ा है दिनोदिन ख़राब होती जलवायु और मौसम भारतोय अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा संकट खड़ा कर रहा है हम सभी को इसके प्रति अभी से सचेत होना चाहिए और ठोस कदम उठाने चाहिए तभी हम सब आने बाले खतरों से निपटने में समर्थ होंगे.
विश्व पृथ्वी दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण सुरक्षा के बारे में लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाना है। यह दिन इस बात के चिंतन-मनन का दिन है कि हम कैसे अपनी वसुंधरा को बचा सकते हैं। इस दिन लोग धरती की सुरक्षा से संबंधित अनेक बाहरी गतिविधियों में शामिल होते हैं जैसे नये पेड़-पौधों को लगाना, पौधा रोपण, सड़क के किनारे का कचरा उठाना, गंदगियों का पुर्नचक्रण करना, ऊर्जा संरक्षण आदि। विभिन्न समाज सेवी संगठनों द्वारा इस दिन अनेक जन जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं.
भारतीय पौराणिक ग्रंथों में पृथ्वी को मां के समतुल्य माना गया है।प्रकृति ने इस पर जल, नदियां, पहाड़, हरे-भरे वन और धरती के नीचे छिपी हुई खनिज संपदा धरोहर के रूप में हमारे जीवन को सहज बनाने के लिए प्रदान किए हैं। यह हम सबकी आश्रयदाता है। इस पर मौजूद बेशुमार संसाधन, उपहार के रूप में हम सबको मिले हैं। हम अपनी मेहनत से धन तो कमा सकते हैं लेकिन प्रकृति की इन धरोहरों को अथक प्रयास करने के पश्चात भी बढ़ा नहीं सकते। इसलिए हम सबको इन धरोहरों को संजोने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। हमारी धरती बहुत ही सुंदर है। लेकिन हम सबकी ही लापरवाही के चलते global warming और pollution की वजह से यह सुंदर ग्रह “ब्ल्यू प्लेनेट” अब खतरे में है। इसको बचाने के लिए पृथ्वी दिवस जैसे जागरुकता बढ़ाने वाले आयोजनों और अभियानों की आवश्यकता है।